फुले सरसों के फूल, मधु लेकर पंहुचा अनंग,
हमारे आँगन में पंहुचा, देखो ऋतुराज बसंत।
खोलो दिल के दरवाजे, भूलो सारे द्वेष भरी बातें,
भरो मन में उत्साह, ख़ुशी और उमंगो के साथ,
छेड़ो मस्ती की धुन, बाटों खुशियाँ अपार,
गले लगाओं, देखो आया ऋतुराज।
देखो बगिया में कोयल मधुर तान छेड़े है,
गावं में गोरी अब, सलीके से दुप्पटा ओढ़े है,
भाभियों की कलाइयाँ चूड़ियों से भरी है,
तो देवरों की मुट्ठी, रंगों से भरी है,
दुर चौपाल पर,
दादा जी की टोली, अपनी फाग धुन छेड़े है,
सबको गले लगाओ आज,
देखो आँगन में आ गया ऋतुराज।
Shashi kant singh
bahot sunder....
ReplyDeletenice 1
ReplyDeleteachchha chitran hai. great
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