देर शाम सोते है, सुबह जल्दी जगते है,
ऐ जिंदगी तुझसे हर रोज लड़ते है,
कभी तु मुझपे भारी पड़ती,
कभी मैं तुझपे काफी पड़ता।।
तु मुझमे जीती हो, मैं तुझसे जिन्दा हूँ,
बस यही सोचता रहता हूँ।
तारीखे बदलती जाती है
और मैं बस तेरे संग नाचता जाता हूँ।
हर रोज सोचता हुँ ,
आज बेटे संग थोड़ा खेलूंगा
सोचता हूँ,
आज पापा संग बैठ कर चाय पिऊंगा,
शाम को फुरसत में
माँ से लम्बी बाते करूँगा
बस सोचता हूँ, सोचता हूँ, सोचता ही रहता हूँ।
ऐ मेरी जिंदगी, तुझसे गुस्सा होता हूँ,
तुझपे चिल्लाता भी हूँ,
फिर भी ना जाने क्युँ,
तेरे लिये ही भागता रहता हूँ।
तुझे तो जीत के भी हारता हूँ
और हार के भी जीता हूँ।
काश !!
तु आज भी छोटी होती रे
हम पापा की अंगुली पकड़कर चला करते.
माँ हमें प्यार करती,
दादी हमें परियों के देश घुमाती
ना मैं तुझसे तकरार करता
और ना ही तु मुझे अपने इशारों पर नचाया करती ।
Shashi Kant Singh
ऐ जिंदगी तुझसे हर रोज लड़ते है,
कभी तु मुझपे भारी पड़ती,
कभी मैं तुझपे काफी पड़ता।।
तु मुझमे जीती हो, मैं तुझसे जिन्दा हूँ,
बस यही सोचता रहता हूँ।
तारीखे बदलती जाती है
और मैं बस तेरे संग नाचता जाता हूँ।
हर रोज सोचता हुँ ,
आज बेटे संग थोड़ा खेलूंगा
सोचता हूँ,
आज पापा संग बैठ कर चाय पिऊंगा,
शाम को फुरसत में
माँ से लम्बी बाते करूँगा
बस सोचता हूँ, सोचता हूँ, सोचता ही रहता हूँ।
ऐ मेरी जिंदगी, तुझसे गुस्सा होता हूँ,
तुझपे चिल्लाता भी हूँ,
फिर भी ना जाने क्युँ,
तेरे लिये ही भागता रहता हूँ।
तुझे तो जीत के भी हारता हूँ
और हार के भी जीता हूँ।
काश !!
तु आज भी छोटी होती रे
हम पापा की अंगुली पकड़कर चला करते.
माँ हमें प्यार करती,
दादी हमें परियों के देश घुमाती
ना मैं तुझसे तकरार करता
और ना ही तु मुझे अपने इशारों पर नचाया करती ।
Shashi Kant Singh