अनजाने रास्तों पर,
भागती, कभी फिसलती,
फिर खुद ही सम्भलती,
अनजाने में बने कुछ रिश्तों की आड़ में,
थोड़ी सुस्ताती, ये मेरी जिंदगी।
एक अनजान मंजिल कि तरफ,
बढती ये मेरी जिन्दगी।
आँखों में लिये कुछ सपने,
दिल में संजोये कुछ उम्मीद,
साथ में लिये किसी की ढेरों आशाएं,
दामन में लपेटे हुए किसी के ढेरों आशीर्वाद,
मुश्किलों का सामना करते हुए,
कभी रिश्ते बनाते, कभी रिश्ते को तोड़ते,
कभी रिश्तों की नज़रों से खुद को छुपाते,
बस आगे, आगे बढती जा रही मेरी जिन्दगी।
खुद की खुशियों को भूल चूका है वो,
अपनो से कब-का नाता तोड़ चूका है वो,
कभी-कभी अकेले में,
अपनी जिन्दगी के मायेने खोजता है वो,
लोग तो कहते है कि बहुत नेक दिल है वो,
मगर खुद का दिल तो कब का तोड़ चूका है वो,
कभी रिश्तों को बनाती, कभी रिश्तों को छोडती,
अनजान मंजिल कि तरफ बढती,
ये मेरी जिंदगी...............
भागती, कभी फिसलती,
फिर खुद ही सम्भलती,
अनजाने में बने कुछ रिश्तों की आड़ में,
थोड़ी सुस्ताती, ये मेरी जिंदगी।
एक अनजान मंजिल कि तरफ,
बढती ये मेरी जिन्दगी।
आँखों में लिये कुछ सपने,
दिल में संजोये कुछ उम्मीद,
साथ में लिये किसी की ढेरों आशाएं,
दामन में लपेटे हुए किसी के ढेरों आशीर्वाद,
मुश्किलों का सामना करते हुए,
कभी रिश्ते बनाते, कभी रिश्ते को तोड़ते,
कभी रिश्तों की नज़रों से खुद को छुपाते,
बस आगे, आगे बढती जा रही मेरी जिन्दगी।
खुद की खुशियों को भूल चूका है वो,
अपनो से कब-का नाता तोड़ चूका है वो,
कभी-कभी अकेले में,
अपनी जिन्दगी के मायेने खोजता है वो,
लोग तो कहते है कि बहुत नेक दिल है वो,
मगर खुद का दिल तो कब का तोड़ चूका है वो,
यादों को दामन में समेटे,
जख्मो को आंसुओ में डुबोती ये मेरी जिंदगी,कभी रिश्तों को बनाती, कभी रिश्तों को छोडती,
अनजान मंजिल कि तरफ बढती,
ये मेरी जिंदगी...............
Shashi Kant Singh