Sunday, September 12, 2010

मुरादे.....

मुझे पढ़ने दो माँ
मुझे पढ़ने दो माँ....

माँ, मै फिर से स्कुल जाना चाहता हूँ,
मै अपने भविष्य को बनाना चाहता हूँ,
अपनी मेहनत से पास होकर
तेरे माथे को चूमना चाहता हूँ,
मुझे अपनी किस्मत बनाने दो माँ,
मुझे पढने दो माँ,
मुझे एक बार फिर से पढने दो।

ऐ माँ ! मै भी समझता हूँ तेरी मज़बूरी को,
मै भी रोता हूँ, देख पापा के हांथों के छालों को,
मगर इन मासूम कन्धों को थोडा
और मजबूत होने दो माँ,
मुझे पढने दो माँ,
मुझे एक बार फिर से पढने दो।

तेरा एहसास...

साथ हो अगर तो साथ हो नहीं भी हो तो जी लेंगे हम सिलवटें आएँगी मगर कपडे की तरह संवर जायेंगे हम रिश्ता गहरा है , दुर होने से ...