नहीं भी हो तो जी लेंगे हम
सिलवटें आएँगी मगर
कपडे की तरह संवर जायेंगे हम
रिश्ता गहरा है,
दुर होने से और निखर जायेगा
उन यादों के सहारे ही अपनी दुनिया बसाएगा.
दफन नहीं होता... ये आस दफन नहीं होता
न जाने क्यूँ, तेरा इंतज़ार खत्म नहीं होता
यादों का लिबास मेरे जिस्म से लिपटता रहा
मेरे संग बिस्तर पर करवटे बदलता रहा
नींद उन यादों से रात भर लड़ता रहा
नींद क्या आएगी जबतक तेरी याद जिन्दा है
मुझमे तो तेरी आंखिरी वो मुलाकात जिन्दा है
तेरी आरजू में मेरे पास हर दिन और रात जिन्दा है
ना जाने क्यूँ तेरे पास बस सवाल जिन्दा है
खत्म नहीं होता...तेरा अहसास इन फिजाओं में दफन नहीं होता
न जाने क्यूँ तेरा इंतेज़ार खत्म नहीं होता
आस अगर छोड़ा तो बिखर जाऊंगा
टूटे पत्ते की तरह कही खो जाऊंगा
टूट तो उस दिन ही गया था जब तुझसे
जुदा हुआ
जिन्दा हु क्योंकि मेरे साथ
तुम्हारी याद बाकी है
मेरे हर रोम में आज भी तेरा इंतेजार
बाकी है
दफन नहीं होता... ये आस दफन नहीं होता
न जाने क्यूँ, तेरा
इंतज़ार खत्म नहीं होता
©Shashi
उम्दा
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