मेरे अरमानों को पंख लगा दिया तुमने,
दिल में छुपे ख्वाबो को जगा दिया तुमने I
दुसरे की ताल पर थिरकते मेरे घुंघरुओं को,
अपने आँगन में बजना सिखा दिया तुमने II
बहुत दूर निकल आये थे हम उन गलियों से,
सब रिश्ते छुप रहे थे कैलंडर के बदलते पन्नों में I
सहेजना बिखरते रिश्तों को सिखाया तुमने
जिन्दगी को जिन्दा बनाया तुमने II
यकीं नहीं होता ये जिंदगी मुस्कुरायी है
ये चेहरा तेरे इंतजार में आस लगायी है I
ये आँखे बरबस उन राहों को निहारने लगे है
जिधर से तेरी खुशबू लिये ये हवा आयी है
मेरे होठों पर मुस्कान जगाया तुमने
इंतजार में भी इक मजा है सिखाया तुमने I
दूसरों की ताल पर थिरकते इन कदमो को
अपने आँगन में बजना सिखाया तुमने II
शशि कान्त सिंह
गुवाहाटी, असम
दिल में छुपे ख्वाबो को जगा दिया तुमने I
दुसरे की ताल पर थिरकते मेरे घुंघरुओं को,
अपने आँगन में बजना सिखा दिया तुमने II
बहुत दूर निकल आये थे हम उन गलियों से,
सब रिश्ते छुप रहे थे कैलंडर के बदलते पन्नों में I
सहेजना बिखरते रिश्तों को सिखाया तुमने
जिन्दगी को जिन्दा बनाया तुमने II
यकीं नहीं होता ये जिंदगी मुस्कुरायी है
ये चेहरा तेरे इंतजार में आस लगायी है I
ये आँखे बरबस उन राहों को निहारने लगे है
जिधर से तेरी खुशबू लिये ये हवा आयी है
मेरे होठों पर मुस्कान जगाया तुमने
इंतजार में भी इक मजा है सिखाया तुमने I
दूसरों की ताल पर थिरकते इन कदमो को
अपने आँगन में बजना सिखाया तुमने II
शशि कान्त सिंह
गुवाहाटी, असम
kya baat hain hujur subhan alla....hmesha khus rhiyen...
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